हर साल भगवान गणेश साल के एक निश्चित समय में अपने भक्तों के घर आते हैं, उनसे सेवा-सत्कार आदि लेते हैं और फिर पुनः अपने लोक, कैलाश पर्वत को लौट जाते हैं। यह समय होता है गणेश चतुर्थी। गणेश चतुर्थी का यह पावन त्यौहार भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी को मनाया जाता है।
ऐसी मान्यता है कि भगवान गणेश का जन्म भाद्रपद शुक्ल पक्ष चतुर्थी को मध्याह्न काल में, सोमवार, स्वाति नक्षत्र एवं सिंह लग्न में हुआ था। यही वजह है कि इस चतुर्थी को मुख्य गणेश चतुर्थी या विनायक चतुर्थी के नाम से भी जाना जाता है। कई जगहों पर इसे कलंक चतुर्थी के नाम से भी जाना जाता है। लोक परंपराओं के अनुसार इस दिन को डण्डा चौथ भी कहा जाता है।
इस त्यौहार का असली रंग महाराष्ट्र में देखने को मिलता है, जहाँ यह पर्व गणेशोत्सव के तौर पर मनाया जाता है। गणेशोत्सव पूरे दस दोनों तक चलने वाला एक भव्य और खूबसूरत त्यौहार है और यह अनंत चतुर्दशी यानि कि गणेश विसर्जन के दिन पर समाप्त होता है। इस दिन गणेश जी को भव्य रूप से सजा-कर उनकी पूजा की जाती है और फिर ढोल-नगाड़ों के साथ झांकियाँ निकालकर उन्हें जल में विसर्जित किया जाता है। मान्यता है कि इसके बाद गणेश भगवान पुनः अपने घर, कैलाश पर्वत पर चले जाते हैं।
इस वर्ष गणेश चतुर्थी का यह त्यौहार 22 अगस्त शनिवार के दिन मनाया गया। अब बात करते हैं गणेश विसर्जन के दिन के शुभ मुहूर्त और कुछ प्रसिद्ध गणपति मंदिरों के बारे में।
गणेश विसर्जन
गणेश चतुर्थी उत्सव का समापन गणेश विसर्जन से होता है। इस दिन भगवान गणेश जी की प्रतिमा को जल में विसर्जित किया जाता है। इस अवसर पर, अपने-अपने घरों में स्थापित गणेश जी की प्रतिमा को लोग जल में प्रवाहित करते हैं। इस उत्सव का असली मज़ा और रौनक महाराष्ट्र में देखने को मिलता है, हालाँकि इस साल कोरोना महामारी के चलते गणेश उत्सव की भव्यता यहाँ भी देखने को नहीं मिलेगी।
गणेश विसर्जन पूजा मुहूर्त
गणेश विसर्जन : 1 सितंबर (मंगलवार)
गणेश विसर्जन के लिए शुभ चौघड़िया मुहूर्त
प्रातः मुहूर्त (चर, लाभ, अमृत) – 09 बज-कर18 मिनट से 02 बज-कर 01 मिनट
अपराह्न मुहूर्त (शुभ) – 03 बज-कर 35 मिनट से 05 बज-कर10 मिनट
सायाह्न मुहूर्त (लाभ) – 08बज-कर10 पी एम से 09 बज-कर 35 मिनट
रात्रि मुहूर्त (शुभ, अमृत, चर) – 11 बज-कर 01 मिनट से 03 बज-कर 18 मिनट सितम्बर 02
चतुर्दशी तिथि प्रारम्भ – अगस्त 31, 2020 को 08 बज-कर 48 मिनट
चतुर्दशी तिथि समाप्त – सितम्बर 01, 2020 को 09 बज-कर 38 मिनट
अब गणेश चतुर्थी के इस पवन मौके पर आइये घर बैठे आइये दर्शन करते हैं भगवान गणेश के कुछ ऐसे चमत्कारी मंदिरों के, जिनके बारे में कहा जाता है कि यहाँ जाने से, या इन मंदिरों में भगवान से कोई भी कामना मांगने से भक्तों की मनोकामना अवश्य पूरी होती है।
सिद्धिविनायक मंदिर – मुंबई (Siddhi-Vinayak Mandir- Mumbai)
बात भगवान गणेश की होती है तो दिमाग में सबसे पहले सिद्धिविनायक मंदिर का नाम आता है। मुंबई स्थित विघ्नहर्ता का यह भव्य और खूबसूरत मंदिर सालों से भक्तों की आस्था का केंद्र बना हुआ है। कहा जाता है कि जिन मंदिरों में भगवान गणेश की प्रतिमा की सूंड दाईं तरफ होती है वो मूर्तियां सिद्धिपीठ से संबंधित होती हैं और उन मंदिरों को सिद्धिविनायक कहा जाता है।
दगडूशेठ हलवाई मंदिर, पुणे (Dagdusheth Halwai Ganpati Temple, Pune)
पुणे में स्थित श्रीमंत दगडूशेठ हलवाई मंदिर भी भक्तों के बीच काफी प्रसिद्ध है। हर साल इस मंदिर में लाखों-करोड़ों की संख्या में भक्त आते हैं। इस मंदिर से एक भावुक कर देने वाली कहानी भी जुड़ी है, कहा जाता है कि कई साल पहले अपना इकलौता बेटा प्लेग में खोने के बाद श्रीमंत दगडूशेठ और उनकी पत्नी लक्ष्मीबाई, ने इस गणेश मूर्ती की स्थापना की थी, जो अब भक्तों के लाडले भगवान बन चुके हैं।
गणपतिपुले मंदिर, रत्नागिरी (Ganpatipule Temple, Ratnagiri)
देश में मौजूद भगवान गणेश के कई भव्य और खूबसूरत मंदिरों में से एक है रत्नागिरी में मौजूद गणपतिपुले मंदिर। इस मंदिर को जो बात सबसे ख़ास बनाती है वो यह कि इस मंदिर में प्रकट हुई भगवान गणेश की प्रतिमा को स्वयंभू की ख्याति दी जाती है। यह मंदिर 400 साल पुराना है। भक्तों के बीच इस मंदिर की काफी मान्यता है।
उच्ची पिल्लायर मंदिर, तिरुचिरापल्ली (Ucchi Pillayar Temple, Tiruchirapalli)
भगवान गणेश के जिस अगले मंदिर की हम बात करने जा रहे हैं वो है तमिलनाडु का प्रसिद्ध उच्ची पिल्लायार मंदिर जो तिरुचिरापल्ली में त्रिचि नाम की जगह पर रॉक फ़ोर्ट पहाड़ी की चोटी पर बसा हुआ एक बेहद खूबसूरत मंदिर है। इस मंदिर के बारे में सबसे प्रसिद्ध बात यह है कि इस मंदिर की स्थापना का कारण रावण का धर्मनिष्ठ भाई विभीषण को माना जाता है। बेहद ऊँचाई पर स्थित इस मंदिर में पहुँचने के लिए लगभग 400 सीढ़ियों की चढ़ाई करनी पड़ती है।
कनिपकम विनायक मंदिर – चित्तूर (Kanipakam Vinayaka Temple, Chittoor)
आंध्रप्रदेश में मौजूद भगवान गणेश के इस मंदिर को भी चमत्कारी माना जाता है। वजह है इस मंदिर में स्थापित भगवान गणेश की मूर्ति जो लगातार अपना आकार बढ़ा रही है। यही वजह है कि इस मंदिर में अलग-अलग आकार के कवच रखे गए हैं। इस मंदिर के बारे में लोगों के बीच ऐसी मान्यता है कि यहाँ आने वाले भक्तों के सभी दुःख और पाप भगवान गणेश तुरंत ही हर लेते हैं।
मोती डूंगरी गणेश मंदिर – जयपुर (Moti Dungri Ganesh Temple, Jaipur)
छोटी काशी कहे जाने वाले जयपुर में भगवान गणेश का एक ऐसा चमत्कारी मंदिर स्थित है जिसके बारे में कहा जाता है कि, यह भगवान गणेश के सबसे प्राचीन मंदिरों में से एक है। इस मंदिर के बारे में लोगों की असीम श्रद्धा है। इस मंदिर में स्थित भगवान गणेश की मूर्ति को चमत्कारी माना गया है। इतिहास-कार बताते हैं कि इस मंदिर में स्थापित भगवान गणेश की प्रतिमा जयपुर नरेश माधोसिंह प्रथम की पटरानी के पीहर मावली से 1731 ई.में लाई गई थी। मावली में यह प्रतिमा गुजरात से लाई गई थी।
(Kalamassery/Madhur Mahaganapathi Temple, Kerala)
भगवान गणेश का यह बेहद अद्भुत और चमत्कारी मंदिर केरल में स्थित है। स्कंद पुराण के अनुसार, पहले ये भगवान शिव का मंदिर था लेकिन एक बार पुजारी के छोटे से बेटे ने मंदिर की दीवार पर भगवान गणेश की प्रतिमा बना दी थी। कहा जाता है कि मंदिर के गर्भ-गृह की दीवार पर बनाई हुई बच्चे की प्रतिमा धीरे-धीरे अपना आकार बढ़ाने लगी। हर बीतते दिन के साथ वो मोटी और बड़ी होती गई। और तभी से ये मंदिर भगवान गणेश के बेहद खास मंदिरों में से एक बन गया।
वर-सिद्धि विनायागर मंदिर, चेन्नई (Varasiddhi Vinayagar Temple, Chennai)
चेन्नई में बसंत नगर में स्थित यह भगवान गणेश का एक प्रसिद्ध मंदिर है। इस मंदिर में भगवान गणेश के साथ आपको सिद्धि की मूर्ति भी नज़र आएगी। इस मंदिर में एक छोटी मूर्ति भी स्थापित है जिसकी पहले पूजा की जाती थी। प्रत्येक साल गणेश चतुर्थी के दौरान इस मंदिर में पूरे भारत के तीर्थयात्रियों और संगीत प्रेमियों को आकर्षित करने वाले विस्तृत संगीत कार्यक्रम का आयोजन किया जाता है। इस खूबसूरत मंदिर में एक सभागार भी है जहां सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं।
गणेश टोक मंदिर, गंगटोक (Ganesh Tok Temple, Gangtok)
इन खूबसूरत और चमत्कारी मंदिरों की लिस्ट में हम जिस अगले मंदिर की बात कर रहे हैं वो है गंगटोक में स्थित भगवान गणेश का गणेश टोक मंदिर। यह खूबसूरत मंदिर नाथुला मार्ग पर गंगटोक शहर से लगभग सात किलोमीटर की दूरी पर मौजूद है। यहां पर छोटी पहाड़ी पर प्रथम पूजनीय भगवान श्री गणेश जी एक मंदिर स्थापित है। कहा जाता है कि मंदिर को सिक्किम शैली में निर्मित किया गया हैं। मुख्य द्वार से कुछ सीढ़ियां चढ़ने के बाद ही गणेश जी मंदिर में पहुंच जाते हैं।
रणथम्भौर गणेश मंदिर, राजस्थान (Ranthambore Ganesh Temple, Rajasthan)
यूँ तो सभी मंदिर अपने आप में बेहद ख़ास होते हैं, लेकिन राजस्थान में स्थित रणथम्भौर गणेश मंदिर को जो बात एकदम अलग बनाती है वो है यहाँ भेजे जाने वाले ख़त। इस मंदिर को रणतभंवर मंदिर भी कहा जाता है। यह मंदिर 1579 फीट ऊंचाई पर अरावली और विंध्याचल की पहाड़ियों में स्थित है। घर में कोई भी शुभ काम हो तो प्रथम पूज्य भगवान गणेश को निमंत्रण अवश्य भेजा जाता है। सिर्फ इतना ही नहीं भक्तों को कोई परेशानी होने पर उसे दूर करने की अरदास भी भक्त यहां पत्र भेजकर भगवान से लगाते है। इसी के चलते इस मंदिर में प्रतिदिन डाक से हजारों निमंत्रण पत्र और चिट्ठियाँ पहुँचती हैं। कहते है यहां सच्चे मन से मांगी मुराद अवश्य ही पूरी होती है
भगवान गणेश की कृपा सदैव आप पर और आपके परिवार पर बनी रहे।