महा लक्ष्मी आली घरात सोन्याच्या पायानी, भरभराटी घेऊन आली’
भक्ति से भरी इन पंक्तियों के साथ आज महाराष्ट्रियन समाज के लाखों घरों में मां लक्ष्मी की पूजा होगी। भाद्रपद शुक्ल अष्टमी से हर वर्ष महाराष्ट्रियन परिवारों में महालक्ष्मी उत्सव का आरंभ होता है, जो अंग्रेजी कैलेंडर के हिसाब से आज यानी 25 अगस्त, मंगलवार को है। देश के कई हिस्सों में लोग अपनी-अपनी मान्यता के मुताबिक हर्षोल्लास से इस त्योहार को मनाते हैं। कई जगहों पर यह महालक्ष्मी पर्व तीन दिन चलता है तो कई जगह 16 दिन।
जो लोग 16 दिन का व्रत रखते हैं, वो आखिरी दिन उद्यापन करते हैं। जो लोग 16 दिन का व्रत नहीं रख पाते, वो केवल तीन दिन व्रत रख सकते हैं। इसमें पहले, 8वें और 16वें दिन ये व्रत किया जा सकता है। ध्यान रहे कि इस व्रत में अन्न ग्रहण नहीं किया जाता। हालांकि, दूध, फल, मीठे का सेवन किया जा सकता है।
इस वर्ष महालक्ष्मी पर्व 25 अगस्त यानी आज से शुरु हो रहा है और आश्विन कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि तक चलेगा। शास्त्रों की मानें तो यह बहुत महत्वपूर्ण व्रत है। इस व्रत को रखने से मां लक्ष्मी सभी मनोकामनाएं पूरी अवश्य करती हैं और इंसान के जीवन में चली आ रही हर प्रकार की समस्याओं का अंत होता है।
साल 2020 में महालक्ष्मी व्रत
महालक्ष्मी व्रत आरंभ | शुक्ल अष्टमी, भाद्रपद मास | 25 अगस्त 2020, मंगलवार |
महालक्ष्मी व्रत समाप्ति | कृष्ण अष्टमी, अश्विन मास | 10 सितंबर 2020, गुरुवार |
- अष्टमी तिथि प्रारंभ : 12 बज-कर 23 मिनट 36 सेकंड – 25 अगस्त 2020 (मंगलवार)
- अष्टमी तिथि समाप्त : 10 बज-कर 41 मिनट 20 सेकंड – 26 अगस्त 2020 (बुधवार)
महालक्ष्मी व्रत विधि
- माता महालक्ष्मी के व्रत के दिन आपको उठते ही कुछ देर माता का ध्यान करना चाहिये। इसके बाद आपको स्नान आदि से निवृत होकर अपने घर और पूजा स्थल को भी साफ करना चाहिये।
- इसके बाद महालक्ष्मी व्रत का संकल्प लेना चाहिये और माता से प्रार्थना करनी चाहिये कि, ‘मेरा यह व्रत सफल हो औऱ इसमें कोई विघ्न न आए।’
- व्रत के संकल्प के लिए इस मंत्र का उच्चारण किया जा सकता है,
करिष्यहं महालक्ष्मि व्रतमें त्वत्परायणा। तदविघ्नेन में यातु समप्तिं स्वत्प्रसादत:।।
- इस मंत्र का अर्थ है कि, ‘हे देवी मैं पूरी मनोयोग से आपके इस महा-व्रत का पालन करुंगा या करुंगी। मेरा ये व्रत बिना किसी बाधा के पूर्ण हो।’
- यदि आपने सोलह दिनों या तीन दिनों का महालक्ष्मी व्रत लिया है तो हर दिन सुबह शाम आपको माता की पूजा करनी चाहिये।
- व्रत के सोलह दिनों तक घर की साफ सफाई का विशेष ध्यान रखें।
- सोलहवें दिन जब व्रत पूरा हो जाए तो उस दिन लाल रंग के वस्त्र से एक मंडप बनाकर उसमें मॉं लक्ष्मी की प्रतिमा रखनी चाहिये।
- माता के पूजन के लिये फल, फूल, मिठाई, मेवा, कुमकुम आदि पूजा स्थल पर रखें।
- पूजा के दौरान माता को 16 बार सूत चढ़ाई जानी चाहिये और नीचे दिये गये मंत्र का उच्चारण करना चाहिये। इस मंत्र का सारांश यह है कि, ‘हे माता लक्ष्मी आप मेरे द्वारा लिये गये इस व्रत से संतुष्ट हों।’
क्षीरोदार्णवसम्भूता लक्ष्मीश्चन्द्र सहोदरा। व्रतोनानेत सन्तुष्टा भवताद्विष्णुबल्लभा।।
- इसके बाद माता लक्ष्मी को पंचामृत से स्नान करवाएं और षोडशोपचार पूजा करें। यदि आपकी सामर्थ्य है तो इस दिन आपको चार ब्राह्माणों को भोजन अवश्य करवाना चाहिये।
- महालक्ष्मी के व्रत के दिन एक बात का ध्यान ज़रूर रखना चाहिये कि आप फल, दूध और मिठाई के अलावा कुछ भी न खाएं।।
महालक्ष्मी व्रत कथा
महालक्ष्मी व्रत से जुड़ी एक कथा हमारे पुराणों में मिलती है। इस कथा के अनुसार एक गांव में एक गरीब ब्राह्मण निवास करता था, जो भगवान विष्णु का भक्त था। एक बार उसकी भक्ति से प्रसन्न होकर भगवान विष्णु ने उसे दर्शन दिये और उससे वरदान मांगने को कहा। भगवान की बात को सुनने के बाद ब्राह्मण ने लक्ष्मी जी का निवास घर में होने की कामना रखी। ब्राह्मण की इच्छा को सुनने के बाद विष्णु भगवान ने कहा कि, तुम्हारे गांव के मंदिर के पास एक महिला उपले थापती है। वही देवी लक्ष्मी हैं उस स्त्री यानि देवी लक्ष्मी को अपने घर आने का आमंत्रण दो। भगवान विष्णु के बताये अनुसार उस ब्राह्मण ने वैसा ही किया। वह उपले थापने वाली स्त्री यानि देवी लक्ष्मी के पास गया और उन्हें घर आने का निमंत्रण दिया। उसकी बातों को सुनकर देवी लक्ष्मी समझ गयीं कि यह काम भगवान विष्णु का है। इसके बाद उन्होंने ब्राह्मण से कहा कि तुम 16 दिनों तक महालक्ष्मी का व्रत रखो और 16 वें दिन रात के समय चंद्रमा को अर्घ्य दो। ऐसा करने से तुम्हारी मनोकामना पूरी होगी। ब्राह्मण ने देवी की बातों को सुनकर विधि-विधान से महालक्ष्मी का व्रत रखा और 16वें दिन लक्ष्मी जी ने अपना वचन निभाया। तब से महालक्ष्मी का व्रत भारत के लोगों द्वारा रखा जाने लगा।